लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 27)
एक वर्ष पश्चात् हमारी दूसरी इंटर्नशिप हुई। इस बार मुझे मेरे घर के पास में ही एक सरकारी विद्यालय मिल गया था, जिसे मैंने मेरे पहले चुनाव हेतु रखा था। अतः मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हुई कि चलो इस बार तो नंबर पास में ही आ गया। वह सावन का महीना था, और बारिश बहुत हो रही थी। अतः प्रधानाचार्य महोदय ने हमें सिर्फ़ साइन करके जाने को कहा। बच्चे भी नहीं आ रहा थे, क्योंकि लॉकडाउन की स्तिथि थी। कुछ दिन हम। इसी प्रकार जाकर साइन करके आ जाते। थोड़े समय पश्चात् प्रधानाचार्य महोदय ने हमें रोज़ विद्यालय आने को कहा। चूंकि इंटर्नशिप हेतु लड़कियां एवम लड़के ज़्यादा मात्रा में थे। इसीलिए प्रधानाचार्य महोदय ने हमें दो समूहों में बांट दिया। अब तो मामला इतना स्ट्रिक्ट हो गया कि यदि एक दिन भी ना जाओ तो प्रधानाचार्य महोदय सी.एल. लगाने लग गए।
खैर हमें क्या मतलब था। हम तो वहां जाते, जितनी देर बैठते अपनी 3rd ग्रेड की पढ़ाई करते और वापस घर आ जाते। वैसे घर के वनिस्पत वहां पढ़ाई अच्छी हो जाया करती थी। 50 प्रतिशत सिलेबस तो मैंने वहीं पूरा कर लिया था। जैसे हमारी 3rd ग्रेड की परीक्षा हुई, बच्चे भी आना शुरू हो गए। हम इंटर्नशिप वाले अभी भी दो समूहों में विभक्त थे। मेरा शिफ्ट सुबह का था। जल्दी जाकर लंच में मैं वापस घर आ जाती थी।
मुझे 7वी और 8वी कक्षा की विज्ञान दी गई थी। परंतु, 8वी के बच्चे कुछ ज्यादा ही बुद्धिमान होने के कारण मेरे साथ समन्वय नहीं बैठा पाए। वैसे बाद में सभी लड़के लड़कियों ने उस कक्षा में जाना बंद कर दिया था, क्योंकि वे बच्चे कुछ ज्यादा ही बदतमीज थे। उन्हें वहां की अध्यापिकाएं ही संभालती थीं। अतः अब मुझे 6ठी और 7वी कक्षाएं दी गईं। दोनों ही कक्षाओं के बच्चों से मेरा समन्वय अच्छा बैठ गया। अतः कुछ दिनों पश्चात् जब उनके प्रथम परीक्षा हुई तब उन्होंने विज्ञान विषय में मेरी उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन दिया। वे भी खुश थे, मैं भी खुश थी और प्रधानाचार्य महोदय भी प्रसन्न थे।
इस प्रकार पढ़ाते हुए मुझे वहां 6 महीने पूरे हो गए। अब विद्यालय से जाने का समय हो चुका था। दीपावली भी पास ही थी। अतः दीपावली के बाद मैं और मेरी एक सहकर्मी विद्यालय पहुंचे। वहां से हमें इंटर्नशिप का सर्टिफिकेट लेना था। प्रधानाचार्य महोदय किसी कार्य में व्यस्त थे। मैं अवसर पाकर बच्चों से मिलने उनकी कक्षा में पहुंची। लॉकडाउन के कारण नवरात्री में कन्याओं को बांटने हेतु कुछ उपहार मेरे पास रखे हुए थे, उनको और पिछली इंटर्नशिप के बच्चों के उपहारों को लेकर मैं उन बच्चों में वितरित करने लगी। यह उपहार मैंने सिर्फ़ उन्हीं बच्चों को दिए जिन्होंने सच में पढ़ाई में मेहनत की थी बाकी बच्चों को हिदायत दी कि वे भी यदि मन लगाकर पढ़ाई करेंगे तो उन्हें भी कहीं कोई स्वाती मेम पुरस्कृत कर दे। हालांकि उपहार कम पड़ गए, परंतु मैं बाज़ार से और खरीद कर ले आई थी। इसीलिए सब में वे पूरे-पूरे वितरित हो गए। एक बालिका अनुपस्थित थी तो उसका उपहार मैंने उसकी एक सहेली को देकर उसे देने को कहा। सभी बच्चे प्रसन्न थे, और उन्हें प्रसन्न देखकर मैं।
Gunjan Kamal
17-Dec-2022 09:11 PM
शानदार
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Swati Sharma
18-Dec-2022 12:08 AM
Shukriya ma'am 🙏🏻
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Sachin dev
14-Dec-2022 04:17 PM
Wonderful
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Swati Sharma
14-Dec-2022 09:15 PM
Thank you sir
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